Proctor's Message
अनुशासन समिति
अनुशासन ही उद्देश्य और उपलब्धि के बीच का सेतु है।
– जिम रॉन
अनुशासन सफलता की कुंजी है l विद्यार्थियों को जीवन में अनुशासित होना अति महत्त्वपूर्ण है। यह एक ऐसी चरित्र विशेषता है जो व्यक्ति को उसके लक्ष्य को प्राप्त कर सफलता दिलाने में नींव का पत्थर साबित होती है। बिना अनुशासन जीवन उस कटे पतंग की तरह है जिसको दिशा देने वाली अनुशासन रूपी डोर का अभाव हो l इसलिए अनुशासन के महत्त्व को कभी भी नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता l आत्म-अनुशासन हमारे लक्ष्यों को सुगम बनाता है और हमारे दृष्टिकोण को ऊँचा रखता है। आत्म अनुशासन के अभ्यास से ही आत्मविश्वास पैदा होता है और आत्मविश्वास आने पर हम चीजों को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं और कर पाते हैं, अर्थात् आत्म-अनुशासन/अनुशासन वह सीढ़ी है जिसके माध्यम से व्यक्ति जीवन में सफलता की ऊँचाई की ओर चढ़ सकता है। अनुशासन, व्यक्ति को अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है और उसे अपने लक्ष्य से भटकनें नहीं देता है।
पी. पी. एन. (पी.जी.) महाविद्यालय में अनुशासन व्यवस्था को बनाए रखने के लिए एक प्रॉक्टोरियल प्रणाली है l इस प्रॉक्टोरियल प्रणाली का प्रमुख मुख्य कुलानुशासक होता है, जो कि एक वैधानिक अधिकारी भी हैl अनुशासनहीनता के सभी कृत्यों से संबंधित छात्रों के मामलों का प्रशासन प्रॉक्टोरियल बोर्ड (अनुशासन समिति) को सौंपा जाता है और प्रॉक्टोरियल बोर्ड यह सुनिश्चित करता है कि कॉलेज द्वारा बनाए गए नियमों और परम्पराओं का छात्रों द्वारा पालन किया जा रहा है।
इस प्रॉक्टोरियल बोर्ड का उद्देश्य छात्रों के बीच अनुशासन लागू करना, छात्र समुदाय की गतिविधियों को नियंत्रित करना और पुलिस/प्रशासन की ओर से हस्तक्षेप और अतिरेक से बचने के लिए कॉलेज और जिला प्रशासन के बीच संपर्क बनाए रखना है। प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने अपने कामकाज में कॉलेज की सभी सुरक्षा चिंताओं को शामिल करके इस बोर्ड के दायरे को बढ़ाया है।
किसी भी छात्र की अनुशासनहीनता , अभद्र व्यवहार के मामले, व्यक्तिगत/समूह उत्पीड़न, धमकी, हाथापाई आदि के मामलों को प्रॉक्टोरियल बोर्ड द्वारा सख्ती से निपटाया जाता है। छात्र अपने आचरण के लिए प्राचार्य के प्रति जिम्मेदार हैं और उन्हें ऐसा कुछ भी करने से प्रतिबंधित किया गया है जो कॉलेज में अनुशासन का उल्लंघन करता हो। अनुशासन के किसी भी नियम के उल्लंघन के लिए छात्र अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी हैं, जो कॉलेज से चेतावनी/जुर्माना/निलंबन के रूप में हो सकता है।
प्रॉक्टोरियल बोर्ड की कुछ विशिष्ट जिम्मेदारियाँ इस प्रकार हैं:
- कॉलेज में अनुशासन बनाए रखना और यह सुनिश्चित करना कि कॉलेज के नियमों को समझा और उनका पालन किया जाए।
- विद्यार्थियों के सामान्य नैतिक व्यवहार पर नज़र रखना ताकि छात्र कॉलेज के शांतिपूर्ण माहौल में खलल न डाल सकें।
- छात्रों को कॉलेज परिसर में किसी भी राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने से रोकना।
- यह सुनिश्चित करना कि प्रत्येक छात्र-छात्रा कॉलेज परिसर में रहने के दौरान अपने पहचान पत्र को प्रमुखता से धारण करें।
महाविद्यालय की स्थापना के कालखंड से लेकर वर्तमान परिदृश्य में भी पढ़ाई के साथ-साथ अनुशासन के क्षेत्र में हमारे महाविद्यालय की शहर ही नहीं अपितु प्रदेश में एक विशिष्ट छवि है। इस विशिष्ट छवि के कारण ही महाविद्यालय में छात्रों के साथ-साथ लगभग 70 प्रतिशत छात्रायें अध्ययन करती हैं । सम्प्रति जो सामाजिक स्थिति है इस माहौल में अभिभावक अपने बच्चों को इस महाविद्यालय में प्रवेश दिलाकर निश्चिंत हो जाता है। यही हमारी उपलब्धि है।
महाविद्यालय में गठित प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्य कला संकाय, विज्ञान संकाय, वाणिज्य संकाय, स्ववित्तपोषित संकाय के साथ-साथ सम्पूर्ण प्रांगण का समय-समय पर परिभ्रमण कर अनुशासन व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने का सफल प्रयास करते हैं l इस कार्य को और बेहतर बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का भी सहारा लिया जाता है जिसमें महाविद्यालय के व्याख्यान कक्षा और बरामदे में लगे 36 सी.सी.टी.वी. कैमरों के द्वारा महाविद्यालय के प्रत्येक भूभाग पर मौजूद विद्यार्थियों पर पैनी नज़र रखी जाती है l
महाविद्यालय प्रांगण में अनुशासन बनाये रखने में सभी विद्यार्थियों से सहयोग की अपेक्षा के साथ-साथ किसी भी परिस्थिति में प्रॉक्टोरियल बोर्ड आपके साथ है।
जय हिंद !
डॉ. धनंजय सिंह
मुख्य कुलानुशासक